● जिल्हा परिषद प्राथमिक शाळा हेळंब,ता.देवणी जि.लातूर ●

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वाचनकट्टा

Thursday 6 June 2019

UDISE CODE टाकून शाळेचे नाव शोधा

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Tuesday 4 June 2019

पर्यावरण दिवस


दरवर्षी ५ जून हा दिवस ‘जागतिक पर्यावरण दिन’ म्हणून साजरा केला जातो. पर्यावरणाची गुणवत्ता वाढवणे, समस्या व संवर्धनाविषयी जागरूकता निर्माण करणे आणि पर्यावरणविषयक निर्णय घेण्याची क्षमता निर्माण व्हावी म्हणून पोषक वातावरणाची निर्मिती करणे, हा पर्यावरण दिन साजरा  करण्यामागचा मुख्य हेतू आहे.

पर्यावरण (Environment) हा शब्द मूळ फ्रेंच शब्द Environ  या शब्दापासून तयार झाला आहे. Environ म्हणजे Surrounding or encircle. सजीव-निर्जीव यांच्यामधील क्रिया-प्रतिक्रिया व आंतरक्रियांमधून साकार झालेली सजीवाच्या सभोवतालची परिस्थिती म्हणजे पर्यावरण होय. पहिल्या महायुद्धानंतर मानवाच्या निसर्गावरील आघाताचे परिणाम शास्त्रज्ञांच्या लक्षात आले. त्याचप्रमाणे औद्योगिक क्रांतीच्या फळांबरोबर त्याचे दूरगामी गंभीर परिणाम मानवाला भेडसावू लागले. म्हणून इ. स. १९६० मध्ये पर्यावरणशास्त्र किंवा पर्यावरण विज्ञान हे विषय अभ्यासासाठी स्वतंत्रपणे लागू करण्यात आले.

मानव हा पर्यावरणाचाच एक कुशाग्र घटक आहे. मात्र पर्यावरणाच्या प्रत्येक घटकात मानवी हस्तक्षेप वाढत चालला आहे. म्हणून पर्यावरणीय आपत्तीचे शास्त्रीय पद्धतीने अध्ययन व त्यावर परिणामकारक उपाययोजना करण्यासाठी शिक्षण महत्त्वपूर्ण बनले आहे.

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पर्यावरण दिन हिंदी



पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों परि और आवरण से मिलकर बना है, जिसमें परि का मतलब है हमारे आसपास अर्थात जो हमारे चारों ओर है, और 'आवरण' जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की कुल इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। 

संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित यह दिवस पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनैतिक और सामाजिक जागृति लाने के लिए मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन से हुई। 5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।
 
पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधों के अलावा उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएं और प्रक्रियाएं भी शामिल हैं। जबकि पर्यावरण के अजैविक संघटकों में निर्जीव तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रियाएं आती हैं, जैसे: पर्वत, चट्टानें, नदी, हवा और जलवायु के तत्व इत्यादि।
 
सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं से मिलकर बनी इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी पर निर्भर करती और संपादित होती हैं। मनुष्यों द्वारा की जाने वाली समस्त क्रियाएं पर्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं। इस प्रकार किसी जीव और पर्यावरण के बीच का संबंध भी होता है, जो कि अन्योन्याश्रि‍त है।
 
मानव हस्तक्षेप के आधार पर पर्यावरण को दो भागों में बांटा जा सकता है, जिसमें पहला है प्राकृतिक या नैसर्गिक पर्यावरण और मानव निर्मित पर्यावरण। यह विभाजन प्राकृतिक प्रक्रियाओं और दशाओं में मानव हस्तक्षेप की मात्रा की अधिकता और न्यूनता के अनुसार है। 
 
पर्यावरणीय समस्याएं जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन इत्यादि मनुष्य को अपनी जीवनशैली के बारे में पुनर्विचार के लिये प्रेरित कर रही हैं और अब पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन की आवश्यकता महत्वपूर्ण है।  आज हमें सबसे ज्यादा जरूरत है पर्यावरण संकट के मुद्दे पर आम जनता और सुधी पाठकों को जागरूक करने की।

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जिल्हा परिषद प्राथमिक शाळा जामगा ता.निलंगा जि.लातूर